Monday 2 September 2019

क्या हैं जैन पर्व : पर्यूषण, क्षमावाणी और दशलक्षण.....

क्या हैं पर्यूषण, क्षमावाणी और दशलक्षण.....

आज-कल आप अख़बार और सोशल मीडिया पर 'पर्यूषण पर्व', 'क्षमावाणी पर्व','दशलक्षण पर्व' और 'सम्वत्सरी' के बारे में पढ़-देख रहे होंगे। लोग साल भर की ग़लतियों और भूलों के लिए एक-दूसरे से क्षमा माँग रहे हैं तो कुछ लोग व्रत-तप-संयम में लीन होकर आत्मसाधना में जुटे हैं। आइए जानते हैं- क्या है जैन समाज के इन पर्वों का मतलब:-


सावन के बाद आने वाला भादों (भाद्रपद) का महीना जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद पवित्र है। जैन समुदाय के दोनों सम्प्रदायों- दिगंबर और श्वेतांबर, के लिए यह पूरा माह आत्मशुद्धि और सार्वभौम क्षमा को समर्पित है। भादों के महीने का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है- पर्यूषण, जो श्वेतांबर जैनों के लिए आठ और दिगम्बर जैनों के लिए दस दिनों का होता है। पर्यूषण का अर्थ है- ख़ुद के निकट आना। पर्यूषण पर्व तप-त्याग-संयम और क्षमा का पर्व है। ज़्यादातर लोग उपवास के माध्यम से तप-साधना करते हैं।


श्वेतांबर जैन समुदाय के लिए पर्यूषण पर्व आठ दिनों का होता है, जिसका अंत सम्वत्सरी पर होता है। सम्वत्सरी के अगले दिन दिगम्बर जैनों के दस दिन के पर्यूषण शुरू होते हैं। इन दस दिनों में धर्म के दस लक्षणों की आराधना के कारण दिगम्बर लोग इसे 'दशलक्षण पर्व' के नाम से भी जानते हैं। धर्म के दस लक्षण हैं- क्षमा, मार्दव (मान का अभाव), आर्जव (छल-कपट से दूर रहना), शौच(पवित्रता), सत्य, संयम, तप, त्याग, अकिंचन (सहजता और परिग्रह से दूर रहना) और ब्रह्मचर्य (सदाचार)। दिगम्बर जैन समुदाय के दस दिन चलने वाले पर्यूषण का समापन 'अनंत चतुर्दशी' और फिर 'क्षमावाणी' के साथ होता है। अनंत चतुर्दशी पर लोग साल भर के व्रतों का पारायण करते हैं। दिगम्बर समाज के लोग इस दिन नगर में तीर्थंकर भगवान की रथयात्रा भी निकालते हैं।


'सम्वत्सरी' और 'क्षमावाणी' क्षमा के दिन हैं। मेरी समझ में दुनिया के किसी भी धर्म-समुदाय में क्षमा का कोई त्यौहार नहीं है, इस तरह यह एक अनूठा पर्व है। घर-परिवार से लेकर समाज तक, सब एक-दूसरे से माफ़ी माँगते हैं और दूसरों को सहर्ष माफ़ करते भी हैं। 'सबसे क्षमा-सबको क्षमा' इस पर्व का मूलमंत्र है। सब प्राकृत भाषा में 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहकर एक-दूसरे से हृदय से क्षमा माँगते हैं। जैनों को क्षमा का विस्तार मनुष्य तक ही नहीं प्राणीमात्र तक है-



"खामेमि सव्व जीवा, सव्वे जीवा खमंतु मे,
मिती मे सव्व भुए सू, वैरम मज्झ न केवई।"
(प्राकृत)

"I grant forgiveness to all, May all living beings grant me forgiveness.
My friendship is with all living beings, My enemy is totally non-existent."
(English Translation)

-निशान्त जैन 

20 comments:

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  3. sir mai pawan rajput distt farrukhabad u.p se hu fb or insta pe bhi msg kia.hai hmne
    Sir hindi optional ke liye plzz hme book list btaye
    Kuch samjh nhi pa rhe.ki kon si book lu or kon si na lu
    Ek.baar ap bta denge.to sab thik ho jayega sir
    Plzz sir btaye

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  4. बहुत सुंदर

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  5. सर,मैंने भी अपना एक ब्लॉग बनाया है। एक बार उस पर भी नज़र ज़रूर डालिएगा।
    sylvester0711.blogspot.com

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  6. https://mymultiplethought.blogspot.com/2020/08/blog-post_26.html

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