क्या पढ़ रहे हैं आजकल?
मैंने अपने एक दोस्त एक शाम जब ये सवाल यूँ ही पूछा, तो उसने मुझे एनसीईआरटी और योजना से लेकर इंडिया ईयरबुक और लक्ष्मीकान्त तक न जाने कितने नाम गिना दिए; मैंने हल्की सी मुस्कान के साथ उससे दोबारा पूछा, कि टेक्स्ट बुक्स और परीक्षा केंद्रित सामग्री के अलावा क्या पढ़ रहे हो आजकल?
मेरा ये सवाल सुनकर वह चौंका और मुझे ध्यान से देखने लगा, जैसे मैंने कोई अवांछित या अनपेक्षित सी बात पूछ ली हो। होना क्या था, फिर वह शाम काफ़ी विचारोत्तेजक और दिलचस्प गुज़री। उस शाम की बातचीत की कुछ ज़रूरी और काम की बातें आपसे साझा कर रहा हूँ।
हालाँकि इसमें कोई संदेह नहीं, कि तैयारी सिविल सेवा परीक्षा की हो या अन्य किसी परीक्षा की, तैयारी फ़ोकस्ड और केंद्रित होनी ही चाहिए, ताकि बेहतर आउटपुट आ सके, पर मैं साथ ही यह भी जोड़ना चाहूँगा कि नए पैटर्न और ट्रेंड को देखते हुए रीडिंग हैबिट एक अनिवार्य ज़रूरत बनकर उभरी है। आइए समझते हैं क्यों और कैसे?
आपने सिविल सेवा परीक्षा के हाल ही के प्रश्नपत्रों में महसूस किया कि पूछे जाने वाले सवालों का दायरा पहले से ज़्यादा व्यापक ही हुआ है और यह अंदाज़ा लगाना सचमुच मुश्किल है, कि सवालों के स्त्रोत कितने विविध और बिखरे हुए हो सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि हमारी तैयारी का दायरा भी ठीक-ठाक व्यापक होना चाहिए, जिसमें हम अपनी आँख-कान खुले रखकर नयी चीज़ों को लगातार सीखते रहें। इस तरह अपने लेखन कौशल को निखारने के लिए प्रमुख तौर पर दो चीज़ों की दरकार होती है, एक तो अच्छी स्तरीय सामग्री (content) और दूसरा भाषा पर अधिकार, जिसमें हमारी शब्दावली (vocabulary) और शैली (style) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रीडिंग हैबिट यानी पढ़ने की आदत या पढ़ने का शौक़, इन दोनों ज़रूरतों को पूरा करके लेखन कौशल को निखारने में ज़बरदस्त मदद करता है। टेक्स्ट बुक से अलग कुछ और पढ़ते-पढ़ते न केवल नयी जानकारियों और ज्ञान से रु-ब-रु होने का मौक़ा मिलता है, बल्कि भाषा पर पकड़ भी मज़बूत होती है। साथ ही एक बेहतरीन आदत का विकास होता और आनंद की अनुभूति होती है, सो अलग।
पढ़ना भी बाक़ी रूचियों (hobbies) की तरह एक शानदार और दिलचस्प हॉबी है। लेकिन सवाल है कि इस तरह की शौक़िया रीडिंग कब करें और पढ़ें तो क्या पढ़ें?
पहली बात का जवाब तो यह है कि जब टेक्स्ट बुक पढ़ते-पढ़ते ऊब जाएँ, या फ़ुर्सत में हों, या ट्रैवल कर रहे हों, तो यूँ ही कोई भी किताब या मैगज़ीन, जो आपको पसंद हो या आपको आकर्षित करे, उसे पढ़ने का वक़्त निकालें।
लेकिन हिंदी में क्या पढ़ें, यह सवाल काफ़ी प्रासंगिक और ज्वलंत सा हो जाता है। मैं इस सवाल का जवाब खोजने में आपकी मदद करने की कोशिश करता हूँ।
ऐसी किताबों को आप सुविधा और रूचि के अनुसार तीन-चार कैटेगरी में बाँट सकते हैं:-

इनमें से ज़्यादातर किताबों के बेहतरीन हिंदी अनुवाद आजकल बाज़ार और अमेजन वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इस तरह की ज्ञानवर्धक और प्रामाणिक किताबों के लिए भारत सरकार के नेशनल बुक ट्रस्ट और प्रकाशन विभाग की किताबें भी बेहतर विकल्प हैं।


किताबों के अलावा कुछ अच्छी पत्रिकाएँ भी हैं, जो शौक़िया तौर पर पढ़ी जा सकती हैं। जैसे- हिंदुस्तान टाइम्स समूह की 'कादम्बिनी' और दैनिक भास्कर समूह की 'अहा ज़िंदगी'। नवनीत, नया ज्ञानोदय, आजकल, पाखी आदि भी कुछ ऐसी ही पत्रिकाएँ हैं।
समय-समय पर बुक कल्चर को बढ़ावा देने के लिए पुस्तक मेले और लिट्रेचर फ़ेस्टिवल जैसे आयोजन आजकल काफ़ी होने लगे हैं। इनमें टहलकर किताबों की दुनिया की ताज़गी महसूस की जा सकती है और समकालीन साहित्यिक और सूचनाप्रद व ज्ञानवर्धक किताबों व पत्रिकाओं से रु-ब-रु हुआ जा सकता है।
समय-समय पर बुक कल्चर को बढ़ावा देने के लिए पुस्तक मेले और लिट्रेचर फ़ेस्टिवल जैसे आयोजन आजकल काफ़ी होने लगे हैं। इनमें टहलकर किताबों की दुनिया की ताज़गी महसूस की जा सकती है और समकालीन साहित्यिक और सूचनाप्रद व ज्ञानवर्धक किताबों व पत्रिकाओं से रु-ब-रु हुआ जा सकता है।

-निशान्त जैन
(लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं)