Friday, 26 April 2019

चंदा मामा...

चंदा मामा बड़े सयाने
मंद-मंद  मुसकाते  हैं,
जब भी देखो खड़े-खड़े
सुंदरता पर इठलाते हैं।

ये क्या चक्कर कभी तो तुम
होते हो पूरे बड़े-बड़े,
और कभी तुम छोड़ सितारे
हो जाते हो भाग खड़े।

घटते-बढ़ते रहते हो तुम
यह कैसा गड़बड़झाला,
बनते पतलू राम कभी तो
कभी बने मोटे लाला।

मामा हैं नटखट शरारती
इनके  खेल  निराले,
आज समझ में आया मुझको
मामा हैं  मतवाले।

© निशान्त जैन

बाल कविता संकलन 'शादी बन्दर मामा की' में संकलित।
(बालहंस,  अगस्त -द्वितीय, 2006  में प्रकाशित)

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