कैसे करें वैकल्पिक विषय- हिन्दी साहित्य की तैयारी
चूँकि सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में मेरा वैकल्पिक विषय 'हिन्दी भाषा का साहित्य' था, जिसमें मुझे सौभाग्य से 500 में से 313 अंक प्राप्त हुए थे, जो 2013 में बदले नए पैटर्न के बाद अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ सर्वाधिक हैं। ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने सोच-विचारकर इसी विषय को मुख्य परीक्षा में चुना है, मैं उनके लिए इस विषय के बारे में कुछ विस्तार से प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा।
क्यों चुनें -
- अंकदायी विषय
- हिन्दी माध्यम के लिए सुरक्षित
विषय
- सहज, रुचिकर और आनंददायी विषय
- 3-4 माह में तैयारी संभव
- करेंट अफेयर्स से अपडेट करने की
ज़रूरत नहीं
- निश्चित और स्पष्ट पाठ्यक्रम
- लेखन कौशल का विकास। निबंध, एथिक्स में मिल सकता है फायदा।
- विषय का बैकग्रॉउंड ज़रूरी नहीं।
यद्यपि मैंने हिन्दी साहित्य में M.A., M.Phil. किया है पर अधिकांश सफल अभ्यर्थियों
की पृष्ठभूमि साहित्य की नहीं होती। (एक उदाहरण- CSE 2014 में रैंक 49, पवन अग्रवाल
ने इंग्लिश मीडियम से परीक्षा उत्तीर्ण की, पर वैकल्पिक विषय हिन्दी साहित्य था )
क्यों न चुनें -
- यदि हिन्दी भाषा को लिखने या पढ़ने
में भी दिक्कत हो,
- विषय का दायरा व्यापक, पढ़ने को
बहुत कुछ,
- भाषा-साहित्य बिल्कुल पसंद न हों।
- सामान्य अध्ययन में यह विषय मदद
नहीं करता।
तैयारी कैसे करें-
हिन्दी साहित्य मेरा पसंदीदा विषय
है। इसे पढ़कर मुझे अजीब सा सुकून मिलता है। सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषयों
की सूची में भी हिन्दी साहित्य अभ्यर्थियों का एक पसंदीदा विषय है। हिंदी माध्यम के
छात्रों का इस विषय की ओर सहज रुझान रहा है। इस विषय की लोकप्रियता का कारण इसका रुचिकर
होने के साथ-साथ अंकदायी होना भी है। आइये, बात करते हैं हिन्दी साहित्य को वैकल्पिक
विषय के रूप में लेने वालों के लिए, बेहतर प्रदर्शन के कुछ जरुरी बिन्दुओं की :
-पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी पुस्तकों
को पढ़ जरूर लें, ताकि व्याख्या करते समय सही सन्दर्भ लिख सकें।
-व्याख्या खंड में सही सन्दर्भ पहचानना
बेहद ज़रूरी है। पद्य खंड में सन्दर्भ पहचानना आसान होता है और व्याख्या करना कठिन।
जबकि गद्य खंड में सन्दर्भ पहचानना कठिन होता है और व्याख्या करना आसान।
-पूरे पाठ्यक्रम को एक बार पढ़ जरूर
लें ताकि सब लेखकों और उनकी निर्धारित रचनाओं
के बारे में आपको बेसिक जानकारी जरूर हो, ताकि मुश्किल वक़्त में उसका प्रयोग
कर पाएं। अब नए पैटर्न में चयनात्मक अध्ययन से काम चलाना मुश्किल है। पर हाँ, हर खण्ड
में कुछ अध्याय चुनकर उन्हें अधिक बेहतर ढंग से तैयार कर सकते हैं।
-चूँकि अब प्रश्नों की संख्या ज़्यादा
होती है और शब्दसीमा कम, इसलिए पूरे पाठ्यक्रम की थोड़ी-थोड़ी जानकारी और समझ अवश्य रखें।
हर टॉपिक को संक्षेप में तैयार कर लें।
पाठ्यक्रम- प्रश्नपत्र-1
खण्ड 'क' - हिन्दी भाषा और नागरी
लिपि का इतिहास
खण्ड 'ख'- हिन्दी साहित्य का इतिहास
प्रश्नपत्र-2
खण्ड 'क'- पद्य साहित्य
खण्ड 'ख'- गद्य साहित्य
-प्रश्नपत्र-1 के खण्ड 'ख' (हिन्दी
साहित्य का इतिहास) को ढंग से तैयार कर लें। यह प्रश्नपत्र-2 में भी काम आएगा। हिन्दी
साहित्य का विकास किस तरह हुआ, इसे क्रमबद्ध तरीके से मोटे तौर पर समझ लें।
-विभिन्न लेखकों और कवियों के कथन
और काव्य पंक्तियाँ दोनों प्रश्नपत्रों, विशेषकर द्वितीय प्रश्नपत्र में विशेष महत्त्व
रखती हैं। उदाहरण देने से आपके कथन और तर्कों की पुष्टि हो जाती है। इसलिए प्रसंग के
अनुरूप उदाहरण लिखने में हिचकिचाएं नहीं। पर ध्यान दें, उदाहरण प्रासंगिक और संगत लगने
चाहिएं, ऊपर से थोपे हुए नहीं।
-आपने इन कोटेशन्स को जहां भी नोट
किया है, (बेहतर होगा कि एक डायरी बना लें), वहां से इन्हें निरंतर दोहराते रहें। पर साथ
ही हर पंक्ति के साथ उसका प्रसंग या प्रतिपाद्य जरूर लिख लें। मसलन, 'कबीर की भाषा'
के बारे में लिखते हुए 'संस्किरत है कूप जल, भाखा बहता नीर' लिख सकते हैं। 'काहे री
नलनी, तू कुम्हिलानी' से 'कबीर के दर्शन और रहस्यवाद' को जोड़ लें। 'किलकत कान्ह घुटरुवनि
आवत', 'सूर के वात्सल्य' का अच्छा उदाहरण है। 'समन्वय उनका करे समस्त, विजयिनी मानवता
हो जाय', 'कामायनी के समरसता के दर्शन' को प्रतिपादित करती हैं।
-भाषा खंड को लेकर अभ्यर्थियों में
एक अजीब सा भय रहता है। दरअसल यह खंड कम मेहनत में अधिक अंक देता है। इसकी सभी यूनिट्स
को संक्षेप में तैयार कर लें। मसलन पाली, प्राकृत और अपभ्रंश में से प्रत्येक की अगर
आपको 6-7 विशेषतायें पता हैं तो इतना काफी है। राजभाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा को
ठीक से तैयार करना बेहतर विकल्प है।
-व्याकरणिक अशुद्धियों से बचने का
अभ्यास। सहज व सरल भाषा का प्रयोग। अभ्यास
करना ज़रूरी, धीरे-धीरे लेखन कौशल विकसित होता जाएगा।
क्या पढ़ें और क्या नहीं-
-पाठ्यक्रम में निर्धारित सारी मूल
टेक्स्ट बुक्स =,
- NCERT 11th class- साहित्य शास्त्र
परिचय
- हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास-
डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी,
- हिन्दी साहित्य का इतिहास- डॉ
नगेन्द्र
-हिन्दी भाषा- डॉ हरदेव बाहरी,
- छायावाद- डॉ नामवर सिंह
-कबीर- हजारी प्रसाद द्विवेदी
-कविता के नए प्रतिमान- नामवर सिंह
-हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास-
डॉ रामस्वरूप चतुर्वेदी
-किसी अच्छी कोचिंग के नोट्स देख
लें।
-यदि रुचि हो तो एक साहित्यिक पत्रिका
जैसे 'आजकल', या 'नया ज्ञानोदय' पढ़ सकते हैं। अच्छा लगेगा और साहित्य की नवीनतम प्रवृत्तियों
के प्रति भी सहज हो पाएंगे।
उत्तर कैसे लिखें-
-समग्रता और संश्लिष्टता
-क्रमबद्ध और व्यवस्थित
-कथन की पुष्टि हेतु यथासम्भव उदाहरण
देना न भूलें,
- अगर पूरी कोटेशन याद न आए, तो
सिंगल इनवर्टिड कोमा लगाकर आधी या चौथाई कोटेशन भी लिख सकते हैं।
-पैराग्राफ बनाकर लिखें, बुलेट पॉइंट
नहीं।
- साफ-सुथरा और व्याकरणिक दृष्टि
से सही लिखने की कोशिश करें।
-यदि चाहें तो महत्वपूर्ण बातों
को अंडरलाइन कर सकते हैं।
रिवीजन कैसे करें -
-रिवीजन अनिवार्य
-पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद उसे
एक-दो बार जरूर दोहरा लें,
-एक डायरी में यह नोट कर लें कि
आपने पाठ्यक्रम का कौन सा हिस्सा कहां से पढ़ा है। दोहराते वक़्त काम आएगा।
-परीक्षा से एक दिन पहले दोहराने
के लिए कुछ अति महत्वपूर्ण संक्षिप्त पॉइंट्स भी तैयार कर लें।
- फुर्सत में या मौका मिलने पर मूल
टेक्स्ट बुक्स को यूं ही पढ़ते रहें।
-परीक्षा के पूर्व अनावश्यक विस्तार
से बचते हुए पूरे पाठ्यक्रम को संक्षेप में दोहरा लें।
परीक्षा हॉल में कैसे अच्छा प्रदर्शन करें-
-
-कोशिश करें कि प्रश्नपत्र को क्रमवार
हल करते चलें। क्योंकि परीक्षक भी स्वाभाविक
रूप से उसी क्रम में कॉपी जांचेंगे।
-हिन्दी के पेपर में जीएस की तरह
वक़्त की उतनी कमी नहीं होती, अतः पूरा प्रश्नपत्र हल करने का प्रयास करें।
-यदि मैं अपनी बात करूँ, तो मुझे
प्रथम प्रश्नपत्र में भाषा खंड और द्वितीय प्रश्नपत्र में काव्य खंड अधिक प्रिय हैं।
और मैंने इन्हीं से अधिक प्रश्न हल किये थे। आप भी मन में विचार कर लें कि कौन से खण्डों
से ज़्यादा प्रश्न हल करने हैं।
-हिंदी साहित्य के उत्तर पैराग्राफ
में ही लिखें, बिन्दुवार नहीं।
-सहज और सरल भाषा का प्रयोग बेहतर
है, पर ज़रूरत पड़ने पर साहित्यिक शब्दावली का प्रयोग करने में कतई न हिचकिचाएं।
------ निशान्त जैन